जीवन दर्शन
जीवन दर्शन
आँसुओं से कहो गीत बनकर बहें।
लेखनी से कहो गीत लिखती रहे।
धार आँसू की गिरती चले नित सहज।
गुनगुनाता रहूँ गीति बनती रहे।
लोक में देवताओं का शासन रहे।
कण्ठ में शारदा का सु-आसन रहे।
मन का मालिन्य बह कर निकल जायेगा।
दिल में अच्छे विचारों का सावन रहे।
संसार सागर में शुचिता रहे।
सबके मन में समादर सुप्रियता रहे।
मत समझना किसी को पराया कभी।
नीर बहता रहे प्रीति गाती रहे।
नीर से कहते जाना मचलता रहे।
नींद में भी पिघल कर लुढ़कता रहे।
नींद ही नीर की प्रेमिका हो सदा।
नींद गमके सतत नीर हँसता रहे।
Renu
23-Jan-2023 04:50 PM
👍👍🌺
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अदिति झा
21-Jan-2023 10:36 PM
Nice 👍🏼
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